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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palश्री अशोक कुमार पाठक ने वर्ष 1980 में कानपुर विश्वविद्यालय से एमएससी कृषि अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर किया । इसके तत्काल बाद, कुछ समय तक इन्होंने सेन्ट्रल बैंक आफ इंडिया में कृषि विशेषज्ञ के रूप में सेवा दी। फिर बिहार लोक सेवा आयोRead More...
श्री अशोक कुमार पाठक ने वर्ष 1980 में कानपुर विश्वविद्यालय से एमएससी कृषि अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर किया । इसके तत्काल बाद, कुछ समय तक इन्होंने सेन्ट्रल बैंक आफ इंडिया में कृषि विशेषज्ञ के रूप में सेवा दी। फिर बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा के आधार पर बिहार पुलिस में सर्जेण्ट के पद हेतु इनका चयन हुआ और अपने कार्यों का कुशल निर्वहन करते हुए वर्ष २०१३ में पुलिस उपाधीक्षक के पद से सेवा निवृत हुए। दायित्वों के उत्कृष्ट संपादन हेतु इन्हें अनेक पुरस्कार, प्रमाण पत्र और संस्तवन प्राप्त हुए जिनमें राष्ट्रपति मेडल, माननीय उच्च न्यायालय रांची एवं झारखंड के मुख्य सचिव द्वारा प्रदत्त सम्मान शामिल हैं।
छात्र जीवन से इनकी रचनात्मकता के प्रति रुचि रही और आकाशवाणी एवं पत्र पत्रिकाओं में भी ये सम्मान सहित आमंत्रित किए जाते रहे। पुस्तक के रूप में प्रकाशित इनकी पहली कृति है, परंतु, इनकी इस कृति को देखते हुए आशा जगती है कि आने वाले समय में पाठकों को इनकी अन्य रचनाएं पढ़ने को मिलें।
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मुक्त छंद की काव्य पुस्तक "मंझली मां" का उपजीव्य भारतीय संस्कृति के सर्वाधिक उज्ज्वल चरित्रों में एक,राम, का वृत्त है। परन्तु, इसमें राम के जीवन - निर्माण की रेखाओं की प्रस्तुति
मुक्त छंद की काव्य पुस्तक "मंझली मां" का उपजीव्य भारतीय संस्कृति के सर्वाधिक उज्ज्वल चरित्रों में एक,राम, का वृत्त है। परन्तु, इसमें राम के जीवन - निर्माण की रेखाओं की प्रस्तुति रामचरितमानस और वाल्मीकि रामायण से सर्वथा भिन्न संदर्भ में की गयी है जहां कैकेयी को राम की विमाता के रूप दिखाते हुए भी, राम के प्रति उनके उदात्त और अद्वितीय स्नेह को केन्द्र में रखा गया है। पुस्तक के रचयिता, श्री पाठक ने, उन्हें ऐसी भावप्रवण नारी के रूप में चित्रित किया है जो राष्ट्र और विश्व मानवता के संरक्षण के प्रति समर्पित है। कैकेयी और मंथरा के जो चित्र गढ़े गए हैं, वे चमत्कृत करते हैं। रचनाकार की इस नयी दृष्टि एवं प्रस्तुति को अनुरागी एवं सहृदय पाठकों का समर्थन और स्नेह मिलेगा, ऐसी आशा की जाती है।
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