You cannot edit this Postr after publishing. Are you sure you want to Publish?
Experience reading like never before
Sign in to continue reading.
Discover and read thousands of books from independent authors across India
Visit the bookstore"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palइस पुस्तक में व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं को कविताओं के माध्यम से चित्रित किया गया है । जो युवाओं के जीवन को शिक्षित करेगा तथा उन्हें जीवन में अपनी छोटी - छोटी गलतियों को सुधार कर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगा। तथा आज के जीवन में लोग अपने निजी जीवन में इतने व्यस्त हो गए है कि अपने बच्चो पर वे उतना ध्यान ही नहीं दे पाते जिसके चलते बच्चे युवा होते ही कुसंगातियो का शिकार होकर अपने जीवन का लक्ष्य भूल जाते है ,तथा जाने अनजाने में अनेकों गलतियां कर पछताते है , यहां पुस्तक ऐसे नवयुवक के जीवन को उज्जवल बनाने में सहायक होगा।
तथा इस पुस्तक में किसान के जीवन के विभिन्न परेशानियों को कविताओं के माध्यम से चित्रित किया गया है जिसे आज की सरकार समझ नहीं पाती है जिसके चलते किसानों को अपने किसानी जीवन में अनेकों कठिनाइयों का सामना कर दुखी जीवन बिताना पड़ता है । इस पुस्तक का उद्देश्य केवल समाज को सरकार को युवाओं के और किसानों के दुखो से अवगत कराना है । ताकि कोई भी माता पिता अपने बच्चों के सपनों को समझे उन्हें अच्छी शिक्षा दे उन्हें यू अकेला ना छोड़े क्योंकि किसी भी व्यक्ति के जीवन में सबसे ज्यादा असर अपने परिवार के सदस्यों का पड़ता है, बच्चे जब छोटे होते है तो वो वहीं सब सीखते है जैसा वे अपने से बड़े को देखते है इसलिए अपने बच्चो को बेहतर शिक्षा देने के लिए स्वयं को शिक्षित करे।
और सरकार को चाहिए की किसानों की परेशानियों को समझने के लिए किसानों के खेत आकर देखे और जाने की धूप में दिन भर पसीना बहाने के बाद भी किसानों की आर्थिक स्थिति क्यू नही सुधरती । किसी भी राज्य की जनता तभी खुश रह सकती है जब उनका राजा उनकी तकलीफ समझता हो उनके हितों की सुरक्षा करता हो।
राजू सलामे
"मेरा जीवन परिचय"
मेरा नाम राजू सलामे है। मेरी मां का नाम श्रीमती सम्मो बाई सलामे और मेरे पिता जी का नाम श्री आशाराम सलामे । मेरा जन्म मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले की बिछुआ तहसील के ग्राम सामरबोह में 17 अगस्त 1997 को एक छोटे से निर्धन परिवार में हुआ। हम टोटल 8 भाई - बहन हैं ,जिनमें सबसे छोटा मैं हूं। मेरे माता पिता मजदूरी करते थे ,हमारा इतना बड़ा परिवार था इस कारण मजदूरी के पैसे से सिर्फ हमारा पेट भर पाता था।मेरे भाई बहनों में किसी की भी परवरिश सही नहीं हो पाई। वक्त बीतता चला गया ,और समय के साथ मुझसे बड़े सभी 7 भाई बहनों की शादी हो गई। घर की पारिवारिक स्थिति ठीक ना होने के कारण मैं भी मजदूरी करता था और मजदूरी के पैसों से किताबे कॉपी खरीदता ।
मैं बचपन से ही पढ़ाई लिखाई में बहुत तेज था और हमेशा कक्षा में प्रथम आता था । मेरी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही सरकारी स्कूल में हुई ।स्कूल में जब मेरे शिक्षक 15 अगस्त या 26 जनवरी में भाषण देते तो साथ में कविताएं बोलते थे इसका मुझ पर गहरा असर हुआ। और मैंने कक्षा 8वी से अपने शिक्षक को देख कर उन्हें सुनकर कविता लिखना सीख लिया । तभी से मुझे कविताओं को लिखने और पढ़ने का बहुत रूचि आ गयी । मैं जब भी खुद को अकेला महसूस करता तो कविता जरूर लिखता ,कविता मेरी जिन्दगी का एक हिस्सा बन गई हो मानो। मैने 10वी कक्षा प्रथम श्रेणी में पास कर 11 वी 12वी गणित विज्ञान विषय में प्रथम श्रेणी में पास की । उसके बाद मैं उच्च शिक्षा के लिए छिंदवाड़ा आ गया।
छिंदवाड़ा आने के बाद पता चला कि जिन्दगी क्या होती है ना मैं अपना खर्च उठा पा रहा था ,ना घर वाले मेरा खर्च उठा पा रहे थे। मां - पिता जी बूढ़े हो चुके थे । और मुझसे बड़े सभी 7 भाई - बहन अपनी - अपनी जिंदगी में व्यस्त थे। मेरी जिन्दगी तो मानो एक लावारिश की तरह होने लगी ,कभी पैसे की जरूरत पड़ती तो अपनों से भी कर्ज लेना पड़ता था। ऐसा लगता था मानो की मैं -
अपनों की ही महफ़िल में पराया हो गया हूं ,
यहां कोई नहीं अपना ना जाने मै कहा खो गया हूं,
खुद को अकेला समझने लगा । और कभी कॉलेज में पैसे लगते तो कभी दोस्तो से कर्ज लेता , तो कभी अपनों से भी कर्ज लेता ,धीरे धीरे कर्ज का आदी होता गया। दिमाग में मानो एक कर्ज का बोझ सा बन गया ,जैसे तैसे मैंने 4 वे सेमेस्टर तक बी. एस. सी. गणित की पढ़ाई की और साथ में डिप्लोमा इन कंप्यूटर एप्लिकेशन किया। कर्ज के बोझ तले दबे मेरा मन पढ़ाई में लग ही नहीं पाया और मै 5 वे सेमेस्टर में कॉलेज में फेल हो गया। और फिर मैने पढ़ाई छोड़ दी और अब मजदूरी करता हूं साथ ही अपनी छूट चुकी पढ़ाई को भोज यूनिवर्सिटी भोपाल से पूर्ण कर रहा हूं। साथ ही कविताएं भी लिखता हूं।
The items in your Cart will be deleted, click ok to proceed.